Description
30% off on Yali’s Hindi horror combo (Technicolour Lovers + The Village + Sampoorn Caravan)
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1992 में, केरल और तमिलनाडु की सीमा पर बसा सुस्त, सिनेमा-प्रेमी गाँव अरक्कन अनजाने में एक अंधेरे प्रयोग का मंच बन गयाकृएक सस्ती, स्वतंत्र लघु फिल्म। सेल्युलाइड की एक जहरीली रील, जिसने 350 लोगों और 160 परिवारों के पूरे गाँव को मिटा दिया। टेक्नीकलर लवर्स इसी शापित फिल्म की भयावह उत्पत्ति की कहानी हैकृएक ऐसी दास्तान जो रोशनी और अंधेरे, भ्रम और वास्तविकता के बीच की रेखाओं को धुंधला कर देती है। यह आपको अपनी गिरफ्त में ले लेगी और अच्छाई और बुराई के आपके निर्णयों पर सवाल खड़े कर देगी।

सदियों से वमैपायर्स का एक झडंु राजस्थान के रेगिस्तान मेंकभी नाटक मडं ली कारवां तो कभी बजं ारो के भेष मेंघूम रहा है। वो भोलेभालेगांव वालो को मनोरंजन का लालच देकर खुद को आमंत्रि त करवाते हैऔर फि र रात को उस गांव के हर जीवि त प्राणी के रक्त का भोग लगातेहै। सैकड़ों सालों सेउनकी येगति वि धि यांछुपी हुई थी जब तक की आसि फ नाम का एक लड़का उनके इस हमलेसेबच नहींनि कला। सालो बाद वो लड़का एक स्मगलर बन चुका था और एक दि न पकड़ा गया। उसेपकड़नेवाला इंस्पेक्टर जय और आसि फ दोनो रेगि स्तान मेंभटक गए और शरण लेनेके लि ए सीमा सुरक्षा बल द्वारा संचालि त एक कि लेमेंपहुंचेजहा की कमान गर्म दि माग और हि सं क ऑफि सर, दरोगा भरै ों सि हं के हाथ मेंथी। जसै े ही रात गहरी हुई, वमै पायर्स का वो झडंु वहा पहुंच गया। आसि फ उनको पहचान गया लेकि न उसकी चेतावनी सबने अनसनु ी कर दी। उस नाटक मंडली के सौंदर्य सेमोहि त हो कर उन लोगो नेउन शैतानों को कि लेपर आनेके लि ए आमंत्रि त कर दि या। उसके बाद शुरू हुई एक भयावह रात जहा वैमपायर्स नेखून का तांडव शुरू कर दि या। आसि फ इस कारवां सेएक बार पहलेबच चुका था, कि ंतुक्या वो येअसंभव काम दुबारा कर पाएगा? इस तरह शुरू हुआ थी याली ड्रीम्स और कारवांका येसफर। आज 10 साल हो चुके हैजब बेंगलुरु कॉमि क कॉन 2013 मेंयेग्राफि क नॉवेल रि लीज हुआ था। इस मूल कृति के बाद इस कहानी का प्रीक्वेल – कारवांखूनी युद्ध और एक सीक्वल कारवांप्रति शोध भी आ चुका है। इस ग्राफि क नॉवेल के 10 वर्ष पूर्ण होनेके अवसर पर, याली ड्रीम्स आपके लि ए ला रहा हैइस अद्भुत वैंपायर गाथा का ओमनि बस। कारवां श्रखंृ ला के तीनों अध्याय को उनके मलू कवर, पि नअप्स और अतरि क्त सामग्री के साथ जोड़ कर तैयार कि या गया एक प्रीमि यम संग्राहक संस्करण।

भारत 2023 — देश ने अर्थव्यवस्था और प्रौद्योगिकी, दोनों क्षेत्रों में अद्भुत प्रगति की है। इसरो ने मंगल ग्रह पर मानवयुक्त मिशन भेजा है, भारत संघ जी-10 शिखर सम्मेलन का हिस्सा बन गया है और चीन के लगभग समकक्ष अर्थव्यवस्था स्थापित कर ली है। लेकिन दूसरी ओर, हमारे देश का एक अंधेरा पहलू भी है — दूरस्थ ग्रामीण गाँव, जो आज भी जातिवाद, अंधविश्वास और अमीर तथा उच्च जाति के प्रभुत्व जैसी मध्ययुगीन प्रथाओं में जी रहे हैं।
युवा डॉक्टर गौतम सुब्रमणियन अपनी पत्नी और बेटी के साथ नागपट्टिनम से चेन्नई जा रहे होते हैं, जब हाईवे से डिटूर लेते समय उनकी कार एक सुनसान गाँव के पास खराब हो जाती है। अपनी महंगी SUV में परिवार को तुलनात्मक रूप से सुरक्षित छोड़कर, वह मदद के लिए भारी बारिश में चार मील से अधिक पैदल चलकर पास के गाँव पहुँचते हैं। थके और परेशान गौतम को यह जानकर झटका लगता है कि कोई उनकी मदद करने को तैयार नहीं है। गाँव वाले कहते हैं कि गौतम ने अपने परिवार को मौत के मुंह में छोड़ दिया है, क्योंकि उन्होंने उन्हें कट्टियाल नामक सुनसान और प्रेतवाधित गाँव के पास छोड़ दिया — जहाँ खूनी भूत घूमते हैं।
यह गाँव 2004 की भयंकर सुनामी में नष्ट हो गया था, लेकिन एक भयावह श्राप अब भी बाकी है। गौतम को विश्वास नहीं होता कि 2023 में भी कोई इस तरह की अंधविश्वासी बातें कर सकता है। अंततः, उन्हें अनपेक्षित रूप से मदद मिलती है — तीन बुजुर्गों से: गाँव के मुखिया शक्तिवेल थेवर, मजबूत कद-काठी वाले स्थानीय मैकेनिक/लोहार राजा, और गाँव के शराबखाने के मालिक व शराबी पीटर।
राजा और शक्तिवेल, दोनों की अपनी वजहें हैं गौतम की मदद करने की — क्योंकि दोनों ने ही अपने बच्चों को कट्टियाल की भयावह घटनाओं में खो दिया है और वे नहीं चाहते कि गौतम भी उनकी तरह अपनों को खोए। तीनों पुराने दोस्त और गौतम मूसलाधार अंधेरी रात में कट्टियाल की ओर निकल पड़ते हैं, जहाँ उनका सामना किसी अलौकिक ताकत से नहीं बल्कि हाड़-मांस के जीवित भय से होता है — जो शक्तिवेल के अपने परिवार के पुराने पापों का नतीजा है, और जिसने अब पूरी सभ्यता से बदला लेने की कसम खाई है।
क्या ये तीन बुजुर्ग और गौतम उसकी पत्नी और बच्चे को ढूँढ पाएँगे? क्या वे उस गाँव में वह रात ज़िंदा बिताएँगे?
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| Writer | Bijoy Raveendran |
|---|---|
| Artist | Utsab Chatterjee |
| Letters | Ravi Raj Ahuja |
| Pages | 76 |

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