Description
Book 2 story
आदिवरियान, वरियान और महाराज वीरेंद्र —एक देवता, एक अवतार और एक सम्राट की किंवदंती। किंवदंती। जब एक भयंकर तूफान उनके बेड़े को तितर-बितर कर देता है, तो वह और उनका वफादार योद्धा भैरवन एक रहस्यमय द्वीप पर पहुंचते हैं, जो बेजोड़ सुंदरता और प्राचीन शक्ति से भरपूर है : सिरुकुमारी, आदिवरियान का पवित्र क्षेत्र। वहाँ, वे अपने संरक्षक देवता की उत्पत्ति का पता लगाते हैं और द्वीप की शाश्वत आत्मा के साथ एक अटूट संबंध स्थापित करते हैं।
इसी बीच, चोल साम्राज्य के केंद्र में छिपी हुई ताकतें इतिहास को बदलने की साजिश रच रही हैं। जैसे-जैसे विश्वासघात अपने पांव जमाता है और साम्राज्य अराजकता के कगार पर डगमगाने लगता है, एक धारीदार योद्धा प्रकट होता हैकृजो अप्रत्याशित रूप से शक्ति का संतुलन बदलने और नियति को नया मोड़ देने के लिए उठ खड़ा होता है।
वर्षों बाद, राजकुमारी निरैमथी और भैरवणकृजो अब युद्ध में तपे हुए योद्धा हैं और अपने दिवंगत सम्राट को दिए गए वचन से बंधे हैंकृवीरेंद्र की विरासत को जीवित रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। लेकिन जब भीतर से विश्वासघात की साजिशें गहराने लगती हैं और बाहर से दुश्मनों का खतरा बढ़ता है, तो सवाल उठता है कि क्या सम्मान और साहस चोल साम्राज्य को एकजुट रख पाएंगे, या महत्वाकांक्षा और शत्रुता इसे हमेशा के लिए बिखेर देंगी?
तो चलिए, साजिश, वीरता और विश्वासघात की एक रोमांचक यात्रा पर निकलते हैंकृजहाँ किंवदंतियाँ गढ़ी जाती हैं, भाग्य का परीक्षण होता है, और एक महान साम्राज्य का भविष्य दांव पर लगा होता है।
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